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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
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जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
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अति गुह्यतरं देवि ! देवानामपि दुलर्भम्।।
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अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥ ३ ॥
सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्
अं कं चं टं click here तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं ।
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः